जमशेदपुर शहर के नॉनवेज के शौकीनों के बीच पिछले कुछ सालों में कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड काफी बढ़ चुकी है। पिछले कुछ वर्षों में पौष्टिकता से भरपूर कड़कनाथ मुर्गे की माँग जमशेदपुर जैसे शहरों में बढ़ती जा रही है।
खास बात ये है कि इस किस्म का मुर्गा केवल भारत में ही पाया जाता है। देश के कई होटलों में भी अब कड़कनाथ मुर्गे की डिमाड़ बढ़ गई है। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी अपने फार्म हाउस पर कड़कनाथ मुर्गे की फॉर्मिंग कर रहे हैं।ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस प्रजाति के मुर्गे में ऐसा क्या खास है?
कड़कनाथ मुर्गी पालन (kadaknath Poultry Farming in India)
कड़कनाथ मुर्गे की एक नस्ल है, जिसे काली मासी भी कहा जाता है. ये मुर्गे पूरी तरह काले होते हैं, कड़कनाथ मुर्गे का खून और मांस भी काले रंग का ही होता है तथा इनके अंडे सुनहरे रंग के होते हैं. इनकी उत्पत्ति मध्य प्रदेश के धार और झाबुआ से हुई है. इन पक्षियों को ज्यादातर ग्रामीण गरीबों, आदिवासियों और आदिवासियों द्वारा पाला जाता है. इसके स्वास्थ्य से जुड़े फायदों को देखते हुए इसकी मार्केट में मांग अधिक रहती है और इसकी गुणवत्ता के कारण ये काफी महंगा भी बिकता है. हमारी भारतीय क्रिकेट टीम के प्रसिद्ध खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी ने भी इन मुर्गो को पाल रखा है और कड़कनाथ मुर्गे से वे कड़क कमाई करते हैं।
कड़कनाथ मुर्गी की खासियत (Kadaknath Chicken Specialties)
भारत में कड़कनाथ मुर्गे की एक ऐसी नस्ल है, जिसका मांस काले रंग का होता है| कई रिसर्च के अनुसार सफ़ेद रंग वाले चिकन की तुलना में काले चिकन में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काफी कम होती है, तथा एमिनो एसिड का लेवल अधिक होता है | देशी और बायलर मुर्गे की तुलना में इसका स्वाद काफी अच्छा होता है | मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में इस काले मुर्गे का पालन किया जाता है, जहां इसे कालीमासी नाम से जानते है |कड़कनाथ मुर्गे की जुबान, चोंच, मांस, अंडा बल्कि शरीर का हर भाग काला होता है | इसमें प्रोटीन भरपूर होता है, तथा वसा काफी कम होती है | इसलिए हार्ट और डायबिटीज के मरीजों के लिए यह चिकन काफी फायदेमंद होता है | देश के मशहूर क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने भी कड़कनाथ मुर्गे पाल रखे है।
इसलिए है कड़कनाथ की महत्ता
प्रोटीन—
कड़कनाथ – 25 फीसद
सामान्य मुर्गा- 18 फीसद
फैट—-
कड़कनाथ – 0.7321.03 फीसद
सामान्य मुर्गा- 13 फीसद
कोलेस्ट्रोल—-
कड़कनाथ – 184 एमजी प्रति 100 ग्राम
सामान्य मुर्गा- 218 एमजी प्रति 100 ग्राम
भारत में कड़कनाथ मुर्गा (Kadaknath Cock in India)
भारत में कड़कनाथ मुर्गा मुख्य रूप से मध्य प्रदेश राज्य के झाबुआ जिले में ही मिलता है | किन्तु कड़कनाथ की इस ब्रीड को अब तमिलनाडू, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश में पाया जाने लगा है | कड़कनाथ मुर्गे की तासीर काफी गर्म होती है, तथा देश से तक़रीबन सभी हिस्सों में इस मुर्गे की काफी अच्छी मांग रहती है | यह तीन प्रजातियों में पाया जाता है, जिसमे पेंसिल्ड, गोल्डन और जेड ब्लैक शामिल है | जेड ब्लैक मुर्गे के पंख पूरे काले होते है, तथा पेंसिल्ड प्रजाति के मुर्गे का आकार पेंसिल की तरह होता है, वही गोल्डन प्रजाति के मुर्गे के पंखो पर गोल्डन छींटे पड़े होते है।
फायदे
कड़कनाथ मुर्गा 4 से 5 महीने में पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं. इसका मांस बाजारों में 800 से 1000 रुपये किलो तक मिलता है. इसकी मुर्गी के अंडों की कीमत 50 रुपए तक की होती है. वहीं इसके एक दिन के चूजों की कीमत 80 से 100 रुपये तक मिलती है. इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण बाजार में इसकी मांग काफी अधिक है. इसके पालन के बारे में जानकारी लेने के लिए आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण ले सकते हैं. वहीं बड़े स्तर पर कारोबार करने के लिए राष्ट्रीय बैंकों और ग्रामिण बेकों द्वारा पशुपालक को लोन भी मुहैया कराया जाता है. इसका पालन कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
कड़कनाथ की विशेषता और प्रजातियां
इस मुर्गे की कुछ खास विशेषताएं है. इसमें 25 से प्रतिशत से अधिक प्रोटीन पाया जाता है. जबकि अन्य मुर्गो में 15 से 25 प्रतिशत फैट होता है. इसमें आयरन अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है. इसका मांस बीमार लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है. कड़कनाथ मुर्गे की तीन प्रजातियां पाई जाती है. जिसमें जेड ब्लैक मुर्गा, पैंसिल्ड और गोल्डन ब्लैक किस्में होती है।
कड़कनाथ मुर्गे में क्या है खास (What is Special)
दरअसल, कड़कनाथ मुर्गों की प्रजातियों में आने वाला सबसे महंगा मुर्गा है। इसका रंग, खून, पंजे और आंखें आदि सबकुछ काले रंग के ही हैं। इसलिए इसे काले चिकन या काले मांस के नाम से भी जाना जाता है। बाजार में इस मुर्गे की कीमत लगभग 1200 रूपये प्रति किलो से लेकर 1800 रूपये प्रति किलो तक है। अन्य मुर्गों के मुकाबले यह केवल 5 से 6 महीने के भीतर ही तैय़ार हो जाता है। कड़कनाथ मुर्गे चारे में बरसीम और चरी आदि खाते हैं। इन्हें पालने में लागत कम लगती है और मुनाफा काफी ज्यादा होता है। अपनी कई खूबियों के कारण इस मुर्गे की सबसे अधिक मांग है। इसकी एक खास बात यह भी है कि अन्य मुर्गों की तुलना में इसमें वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है, जिसे खाने से शरीर को नुकसान नहीं होता है।
सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है
कड़कनाथ मुर्गा मूलरूप से मप्र के झाबुआ में मिलता है। इसकी कीमत भी सामान्य मुर्गों के मुकाबले काफी ज्यादा होती है। क्योकि इसमें प्रोटीन की मात्रा बेहद ज्यादा पायी जाती है। साथ ही इसकी हड्डियां और मांस का कलर भी अलग होता है। जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। आमतौर पर अगर आप इसे बाजार में लेने जाते हैं, तो इसकी कीमत 900 से 1500 रुपये किलों तक होती है।
भारत के अलावा कहीं और नहीं पाया जाता
यह मुर्गा एक दुर्लभ प्रकार का मुर्गा है। जो भारत के अलावा कहीं और नहीं पाया जाता है। काले रंग की वजह से इस मुर्गे को स्थानीय भाषा में कालीमासी भी कहा जाता है। जानकार मानते हैं कि दूसरी प्रजातियों के मुकाबले यह मुर्गा अधिक स्वादिष्ट, पौष्टिक, सेहतमंद और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। समान्य मुर्गों में जहां 18-20 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है, जबकि कड़कनाथ मुर्गे में करीब 25 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है।
झाबुआ के आदिवासी इस मुर्गे को काफी पवित्र मानते हैं
कड़कनाथ मुर्गे के 3 प्रजाति मिलते हैं। इनमें जेट ब्लैक गोल्डन ब्लैक और पेसिल्ड ब्लैक शामिल हैं। इनका वजन 1.8 किलों से 2.0 किलो तक होता है। गौरतलब है कि कुछ सालों पहले तक कड़कनाथ मुर्गे को मध्य प्रदेश के झाबुआ और छत्तीसगढ़ के बस्तर में रहने वाले आदिवासी ही पालते थे और इन्हें काफी पवित्र माना जाता था। आदिवासी समाज के लोग इस मुर्गे को दीपावली के बाद देवी के सामने बलि देते थे और फिर इसे खाने का रिवाज था। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा इसलिए किया जाता था क्योंकि इन्हें तैयार होने में टाइम लगता है।
अंडे पर नहीं बैठती मुर्गी
कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गियां अपने अंडे पर नहीं बैठतीं। कड़कनाथ के अंडों की ब्रीडिंग का तरीका दूसरे प्रजाति के मुर्गों से एकदम अलग है। इसके अंडों को इनक्यूबेटर में रखा जाता है और लगातार टेम्प्रेचर मेंटेन किया जाता है। यह प्रक्रिया 21 दिन तक जारी रहती है। तब अंडे से चूजा बाहर निकल आता है। कड़कनाथ का अंडा भी बाजार में सबसे महंगा बिकता है। इसके हरेक अंडे की कीमत 40 से 50 रुपये तक होती है।
आयरन और प्रोटीन ज्यादा
कड़कनाथ मुर्गे में आयरन और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। मांसाहारी लोगों के लिए इसका स्वाद भी लजीज होता है। ठंड के मौसम में इसे खाना ज्यादा फायदेमंद होता है। मांग की तुलना में इसका उत्पादन काफी कम है। इसलिए इसके मांस की कीमत एक हजार रुपये किलो तक होती है।
डायबिटिक रोगों के लिए फायदेमंद
कड़कनाथ मुर्गे और मुर्गी का रंग काला, मांस काला और खून भी काला होता है। अपने औषधीय गुण के कारण यह बहुत डिमांड में है। इस मुर्गे के मांस में आयरन और प्रोटीन सबसे ज्यादा पाया जाता है। इसके मांस में वसा और कोलेस्ट्रॉल भी कम पाया जाता है। इसके चलते ह्रदय और मधुमेह के रोगियों के लिए यह चिकन बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसके रेगुलर सेवन से शरीर को काफी पोषक तत्व मिलते हैं। इसकी मांग और फायदों को देखते हुए सरकार भी इसका बिजनेस शुरू करने में हर स्तर पर मदद करती हैं।
100-120 रुपये में मिलते हैं चूजे
पूरे देश में कड़कनाथ मुर्गे की सप्लाई झाबुआ से ही होती है। हालांकि, मध्य प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी इसके पोल्ट्री फार्म मौजूद हैं। इसके चूजे कृषि विज्ञान केंद्रों से मिलते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र से 15 दिन का चूजा दिया जाता है जिसकी कीमत 100 से 120 रुपये तक होती है। छह महीने में चूजा मुर्गे में तब्दील हो जाता है। इसका वजन बढ़कर डेढ़ से दो किलो तक हो जाता है।
कड़कनाथ मुर्गे को GI टैग मिला हुआ है
कड़कनाथ मुर्गे की सबसे खास बात ये है कि इसे GI टैग मिला हुआ है। जिसे एमपी सरकार ने कुछ साल पहले ही हासिल किया है। हालांकि मप्र और छत्तीसगढ़ के बीच कड़कनाथ को लेकर अभी भी खींचतान है। लेकिन अगर इतिहास को देखें तो मध्यप्रदेश सरकार ने इस प्रजाति के लिए पहला मुर्गा पालन केंद्र साल 1978 में स्थापित किया था।
ड़कनाथ मुर्गे को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग
चेन्नई स्थित GI पंजीकरण कार्यालय ने मध्य प्रदेश राज्य को मुर्गे की एक प्रजाति कड़कनाथ के लिये भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दे दिया है। मध्य प्रदेश के ग्रामीण विकास ट्रस्ट, झाबुआ ने इसके लिये वर्ष 2012 में आवेदन किया था।